आदरणीय अजय लल्लू जी, दीपक सिंह जी, राशिद अल्वी जी, नसीमुद्दीन सिद्दिकी जी, इमरान प्रतापगढ़ी जी, विजेन्द्र सिंह जी, बेगम नूर बानो जी, गजराज सिंह जी, संजय कपूर जी, मीम अफज़ल जी, ओमवती जी, कमल किशोर जी, शेरबाज पठान जी और तमाम उपस्थित नेतागण, कांग्रेस पार्टी, यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई, महिला कांग्रेस और सेवा दल के हमारे जितने भी साथी यहाँ उपस्थित हैं, आप सबका बहुत-बहुत स्वागत। काफी धूप हो रही है, तो समय से आप बैठे हैं।
आपने खूब भाषण सुने होंगे आज, शायरी भी सुनी। मैंने सोचा कि मैं कुछ बातें कर लूं आपसे। भाषण देने नहीं आई हूं। आपसे बातचीत करने आई हूं। क्योंकि मेरी समझ है कि नेता और जनता के बीच में एक बहुत खास रिश्ता होता है। आप हमें बनाते हैं, हम मंच पर खड़े होते हैं, तो खड़े करने वाले आप हैं। आपके और हमारे बीच में भरोसे का रिश्ता होता है। वो जो भरोसा होता है, उसी के बल पर आप एक नेता को आगे बढ़ाते हैं, क्योंकि आप सोचते हैं, आपको अहसास होता है कि वो आपके पक्ष में बोलेगा, आपकी समस्याओं के बारे में, जो समस्या है उनकी सुनवाई होगी। आपके पास आएगा, दुख में आएगा, दर्द में आएगा, खुशी में आएगा और आपका प्रतिनिधित्व वो नेता करेगा। तो कभी-कभी मन में आता है कि आज के प्रधानमंत्री जी, नरेन्द्र मोदी जी को दो-दो बार जनता ने क्यों जिताया। इसलिए जिताया होगा कि मन में उम्मीद रही होगी, कुछ भरोसा रहा होगा उनमें कि वो आपके लिए काम करेंगे।
आपके सामने आए। पहला चुनाव हुआ, बड़ी-बड़ी बातें हुई, करोड़ों रोजगार की बातें हुई। आपको आगे बढ़ाने की बात हुई। छोटे व्यापारी को आगे बढ़ाने की बात हुई, तमाम निर्णय लिए गए। उसके बाद अगला चुनाव आया। अगले चुनाव में जहाँ-जहाँ गए, मोदी जी ने किसानों की बात की, बेरोजगारी की बात की कि उसे दूर करेंगे। आपको कहा कि आपकी आय दोगुनी करेंगे, आप दोगुना कमाएंगे। ऐसी-ऐसी नीतियां लाएंगे, जिससे खुशहाली बढ़ेगी। लेकिन क्या हुआ? असलियत तो ये है कि उनके राज में ऐसा कुछ नहीं हुआ।
आप बताईए कि क्या आपकी कमाई दोगुनी हुई है (विशाल जनसभा को पूछते हुए श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा) (जनसभा ने ना में उत्तर दिया), क्या गन्ने का दाम 2017 से बढ़ा है? आप सब गन्ने के किसान हैं, आपके लिए जो निर्णय लिया है इस सरकार ने, क्या गन्ने का दाम बढ़ाया है इन्होंने, (जनसभा ने ना में उत्तर दिया)? आपका बकाया कितना है, आपको मालूम है कि यूपी के किसानों का, गन्ने के किसानों का 10 हजार करोड़ रुपए बकाया है और अगर पूरे देशभर के गन्ने का बकाया देखा जाए, तो 15 हजार करोड़ का है। तो आप सोच सकते हैं कि ये ऐसे प्रधानमंत्री हैं कि आपका बकाया आज तक पूरा नहीं किया, लेकिन अपने लिए, दुनिया में भ्रमण करने के लिए इन्होंने दो हवाई जहाज खरीदे हैं। दो हवाई जहाजों की कीमत आप जानते हैं क्या है? इन दो हवाई जहाजों की कीमत 16 हजार करोड़ रुपए है। एक हवाई जहाज 8 हजार करोड़ रुपए का, दूसरा हवाई जहाज 8 हजार करोड़ रुपए का। कुल मिलाकर 16 हजार करोड़ रुपए के इन्होंने दो हवाई जहाज खरीदे हैं। जबकि 15 हजार करोड़ रुपए में इस देश के एक-एक गन्ने किसान का बकाया वो वापस कर सकते थे।
आपने पढ़ा होगा कि दिल्ली में संसद भवन के सौंदर्यीकरण की बहुत बड़ी योजना बनी है। कितने रुपए की योजना है – 20 हजार करोड़ रुपए की वो योजना है, जबकि वो संसद भवन दुनिया में मशहूर है। जो इंडिया गेट को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं। उसके सौंदर्यीकरण के लिए 20 हजार करोड़ रुपए उपलब्ध है, लेकिन इस देश के किसान के बकाए के लिए 15 हजार करोड़ रुपए उपलब्ध नहीं हैं। यही इस सरकार की नीयत है। जो भरोसा आपने किया था, वो भरोसा अब टूट चुका है।
एक शायर ने कहा था कि - भगवान का सौदा करता है, इंसान की कीमत क्या जाने, जो गन्ने की कीमत दे ना सके, वो जान की कीमत क्या जाने।
अब जैसे कि आपके ऊपर काफी संकट नहीं थे, तो इस सरकार ने तीन नए कानून जारी किए और जितना भी आंदोलन हो रहा है देश में, जो किसान 80 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर, सर्दी में इतने दिनों से बैठे हुए हैं, अब गर्मी की तैयारी कर रहे हैं, वो किसलिए बैठे हैं? प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि ये जो कानून बने हैं, ये किसान की भलाई के लिए बने हैं। ठीक है, मान लेते हैं कि किसान की भलाई के लिए बनाए हैं आपने ये कानून। तो जब किसान मना कर रहा है, जब किसान कह रहा है कि मुझे आपके कानून नहीं चाहिएं, तो आप इनको वापस क्यों नहीं ले लेते? क्या आप किसी की भलाई जबरदस्ती करते हैं? क्या आपकी समझ इस देश के करोडों किसानों की समझ से ज्यादा है? क्या ये नहीं जानते कि इनकी भलाई क्या है, क्या नहीं है। फिर सरकार कहती है कि किसान समझ नहीं पाए कि कानून क्या हैं।
इसलिए मैंने सोचा, आज मैं यहाँ आई हूं। आपको बता देती हूं कि ये तीन कानून क्या हैं। देखिए, 1955 में पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने जमाखोरी के खिलाफ कानून बनाया। क्योंकि जमाखोरी के चलते किसान पिस रहा था। आज जो पहला कानून बना है, उससे इस सरकार ने जमाखोरी करने की पूरी अनुमति दे दी है। इस नए कानून के जरिए बड़े-बड़े खरबपति, बड़े-बड़े उद्योगपति कितना भी आपसे सामान खरीद सकते हैं और कितना भी सामान जमा कर सकते हैं। अब कोई रोक नहीं है, कोई पाबंदी नहीं है। इसका मतलब ये है कि उनकी पूरी तरह से मनमर्जी चलेगी। जब वो जमा करना चाहेंगे, करेंगे। जब वो आपको कहना चाहेंगे कि हम खरीद नहीं सकते, तो कहेंगे। जब आपको कहना चाहेंगे कि आपको ये दाम नहीं मिलेगा, आज हम आपको कम दाम देंगे, तो वो भी कर सकते हैं। तो ये जो पहला कानून है, इससे जमाखोरी बढ़ेगी और पूरी तरह से सरकार ने बड़े-बड़े उद्योगपतियों को जमाखोरी करने की अनुमति दे दी।
दूसरा कानून, दूसरा कानून ये है कि जिनको प्राईवेट मंडी खोलनी हैं, वो खोल सकते हैं और बड़े-बड़े खरबपतियों की बड़ी-बड़ी मंडियों खुलेंगी। तो शुरु में तो ऐसा लगेगा कि बहुत अच्छा है, अच्छी मंडियां लगा रहे हैं, बना रहे हैं ये लोग। लेकिन इसमें क्या कहा है सरकार ने कि जो सरकारी मंडी है, उसमें आपसे टैक्स लिया जाएगा और जो प्राईवेट मंडी है, उसमें कोई मंडी टैक्स नहीं होगा। इससे क्या होगा - तमाम किसान प्राईवेट मंडी में जाएंगे। जैसे ही प्राईवेट मंडी में जाएंगे, सरकारी मंडियां बंद होना शुरु होंगी। लेकिन सरकारी मंडी में एक चीज थी जो आपको मिलती थी, न्यूनतम समर्थन मूल्य आपको मिलता था। जैसे-जैसे प्राईवेट मंडियां आगे बढ़ेंगी और सरकार की मंडियां बंद होंगी, आपको न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना बंद हो जाएगा। इसके जरिए भी जो बड़े-बड़े खरबपति, उद्योगपति हैं, फिर से अपनी मनमर्जी कर पाएंगे, मंडी उनकी है, दाम वो तय करेंगे, कितना खरीदना है, कब खरीदना है, वो तय करेंगे।
अब तीसरा कानून सुनिए, तीसरे कानून में ये लिखा है कि कॉन्ट्रैक्ट यानि ठेके पर किसानी होगी। इसका क्या मतलब है, इसका मतलब कि बड़ा खरबपति आ सकता है आपके गांव में और आपको कह सकता है कि देखिए आप 10-15 किसान हैं, आपके साथ मैं एक कॉन्ट्रैक्ट बनाऊंगा। आप गन्ना उगाइए और इस गन्ने के लिए मैं आपको 500 रुपए दूंगा। आपने मेहनत की, गन्ना उगाया। समय आया गन्ना बेचने का। आप उस अरबपति के पास गए, आपने उससे कहा कि 500 रुपए में आपने कहा था कि आप खरीदेंगे। तो ये बिल्कुल उसकी मर्जी है कि आपको कह दे कि अभी तो हमें गन्ने की जरुरत ही नहीं है। तुम्हें किसने कहा कि 500 रुपए में खरीदेंगे हम, 200 देंगे, दे दो। फिर आप क्या करेंगे? सबसे जो बड़ा भ्रम इस कानून में, वो ये है कि अगर ऐसी स्थिति पैदा हुई कि अगर आपने कॉन्ट्रैक्ट कर लिया उस खरबपति के साथ और आपने गन्ना उगा दिया। आपके साथ उन्होंने तय भी किया था कि इस दाम पर लेंगे और वो कहते हैं कि हमें जरुरत नहीं है, आप जाओ कहीं और जाकर बेच दो। तो आप अदालत में भी नहीं जा पाएंगे, आपकी कोई भी सुनवाई नहीं होगी। ऐसा कानून बनाया है कि कोई कानूनी लाभ नहीं होगा इनमें और आप सोच सकते हैं कि अगर सिर्फ उस कानून में लिखा है कि आपको सुनवाई करानी है, एसडीएम तक जा सकते हैं, उनसे बड़ा एक ऑफिसर है, उनके पास जा सकते हैं।
तो आप सोच सकते हैं कि एक तरफ खरबपति, एक तरफ आप, तो क्या होगा, न्याय मिलेगा आपको? तो ये कानून जो बनाए हैं, तीनों कानून किसान के लिए नहीं बनाए हैं, ये इनके पूंजीपति मित्रों के लिए बनाए हैं और ये देश अंधा नहीं है, देख रहा है, 60 सालों से क्या हो रहा है इस देश में। देश का एक –एक देशवासी देख रहा है कि चाहे कुछ भी हो, बड़े से बड़े सरकारी उद्योग का हो, वो सब 2-3 जनों को बिक रहे हैं। इन्हीं के पूँजीपति मित्र सारी मीडिया चलाते हैं। इन्हीं के पूंजीपति मित्रों के द्वारा इनके चुनाव चलते हैं। इन्हीं के पूंजीपति मित्रों को पूरा देश सौंप दिया गया है। चाहे हवाई अड्डे हों, चाहे बड़े-बड़े उद्योग हों। 75 सालों में जितना भी सरकार ने काम किया, बेरोजगारी को हटाने के लिए भी जो बड़े-बड़े उद्योग बने, सब बेच डाले हैं और जो अब तक बिके नहीं हैं उनको बेचने की भी योजना कर डाली है। तो आप सोच सकते हैं कि ऐसी सरकार आपके लिए क्या करेगी और अगर अभी भी आपको इनसे उम्मीद है, तो जरा गहराई से सोचिए कि आपके लिए भी कुछ करने नहीं वाले हैं।
आज भी जब लाखों किसान इनके दरवाजे पर खड़े हैं, तो वही प्रधानमंत्री, जो अमेरिका जा सकते हैं, ट्रंप साहब के चुनाव में उनके लिए बोल सकते हैं, सभा कर सकते हैं, जो चीन जा सकते हैं, जो पाकिस्तान जा सकते हैं, कोई ऐसा देश नहीं है, जो इन्होंने छोड़ा हो, सबने देखा है और सबने टीवी पर देखा, कभी कहीं पर उनका स्वागत हो रहा है, कभी कहीं। तो बताइए अपने घर से 2-3 किलोमीटर दूर, तीन लाख किसानों से, जो वहाँ पर धरना दे रहे हैं, जो सिर्फ आपसे ये मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी, हमसे आकर बात करें, हमारी बात सुनिए। आप 2-3 किलोमीटर अपने घर से दूर उनके पास नहीं जा पाए, आप दुनिया घूम सके, बड़े-बड़े हवाई जहाज खरीद लिए आपने अपने लिए, लेकिन आप उन किसानों की सुनवाई करने के लिए नहीं जा पाए। उल्टा क्या किया आपने? संसद में खड़े होकर मजाक उड़ाया। उन्हीं किसानों को आपने एक नया नाम दिया, आंदोलनजीवी, परजीवी। परजीवी होता क्या है, आप सब जानते हैं, सब के सब। आपका अपमान किया, वो भी संसद में, हंसते हुए आपका अपमान किया।
जो 215 किसान शहीद हुए हैं, उनमें से एक 25 साल का लड़का। मैं कुछ ही दिनों पहले रामपुर गई उसके अंतिम अरदास में। इतना दुख हुआ मैं क्या बताऊँ उस परिवार से मिलकर। एक 25 साल का बच्चा, उसके परिवार को लगता है कि उसे गोली मार दी गई, ऐसा ही हुआ। उसकी मां मेरे पास बैठी थीं, पूरे समय कुछ बोली नहीं, आँखों में आंसू थे और आप संसद में खड़े होकर मजाक उड़ा रहे हैं, आप परजीवी कह रहे हैं। आपके मंत्री देशद्रोही कह रहे हैं। इसका मतलब है आप पहचान नहीं पाए, मोदी जी पहचान नहीं पाए कि देशभक्त और देशद्रोही में फर्क क्या है।
सिर्फ एक देशभक्त शांतिपूर्वक आंदोलन में 80 दिनों से, हर समस्या को झेलते हुए सड़क पर बैठकर शांति से आपसे मांग सकता है कि अपना अधिकार मिले उसे, यह सिर्फ एक देशभक्त कर सकता है। आप पहचान नहीं पाए, आपने मजाक उड़ाया। कल-परसों हरियाणा के कृषि मंत्री का एक वीडियो निकला हंस-हंसकर बोल रहे हैं, तो क्या हुआ, 215 लोग मर गए। तो क्या हुआ, वो तो घर मे बैठे-बैठे ही मर जाते और हंस रहे हैं।
देखिए, मैं शहीद के परिवार की बेटी हूँ। शहादत बहुत बड़ी चीज होती है। शहादत को झेलने वाला जो शहीद है, वो नहीं होता, उसका परिवार होता है। उस दुःख को दिल में रखता है जीवन भर। उसका मजाक उड़ाने का किसी का अधिकार नहीं है, चाहे वो मंत्री हो, चाहे वो इस देश का प्रधानमंत्री हो, चाहे कोई भी हो। जो अपने अधिकार के लिए शहीद हुआ है, वो पवित्र होता है और उस पर उंगली उठाने का किसी को अधिकार नहीं है और मैं फिर से दोहराऊँगी कि जो किसान किसान आपके दरवाजे पर खड़ा है, नरेन्द्र मोदी जी, जो किसान आपके दरवाजे पर खड़ा है, उसका बेटा आपकी सीमा पर खड़ा है। जिस किसान का आप अपमान कर रहे हैं, उसका बेटा आपकी सीमा पर, आपकी सुरक्षा कर रहा है। आपके अंगरक्षक उसी किसान के बेटे हैं। अपमान करने का कोई हक नहीं है आपको।
और मैं ये कहना चाहती हूँ कि ये जो कानून बनाए हैं, जिससे इस देश का किसान, इस देश का गरीब सदमें में है, रो रहा है, अपना अधिकार मांग रहा है, उसे आप वापस दीजिए, इन कानूनों को रद्द कीजिए। जिन्होंने आपको सत्ता दी है, उनका आदर कीजिए। जिन्होंने आपको सत्ता दी है, उनको अपमानित मत कीजिए।
देखिए, जिसको सत्ता मिल जाती है, दो तरह के नेता होते हैं। कुछ ऐसे नेता होते हैं, जिनको बहुत अहंकार हो जाता है, वो भूल जाते हैं कि सत्ता देने वाला कौन है। इस देश के इतिहास में बार-बार हुआ है कि ऐसा नेता जब अहंकार में आ जाता है, तो देशवासी उसे सबक सिखाते हैं और जब देशवासी उसको सबक सिखाते हैं, तब वो शर्मिंदा होता है, वो समझता है कि उसका धर्म क्या था। लोगों को बांटने का धर्म नहीं था, लोगों को संकट में डालने का धर्म नहीं था। उसका धर्म यही था कि वो जनता के लिए काम करे, जनता का विकास कराए, सर्वप्रथम जनता को रखे और अपने आपको पीछे रखे। क्या ये उम्मीद की जा सकती है कि नहीं कि ये अहंकारी सरकार अपनी माया में से निकले और इन्हें समझ आए कि इनका धर्म क्या है, पर मुझे नहीं लगता।
7 साल गुजर चुके हैं, 7 साल में जितने वादे किए, सारे तोड़े। 7 साल में जो छोटा व्यापारी था, किसान की कमर तोड़ी, किसान उसकी कमर तोड़ी, गरीब की मदद नहीं की, सिर्फ अपने बड़े-बड़े दोस्तों, अपने पूंजीपति मित्रों की मदद की, तो अब मुझे नहीं लगता न हीं ये उम्मीद है कि ये आपके लिए कुछ काम करेगी, लेकिन मुझे आप पर भरोसा है, इस देश की जनता पर भरोसा है और आपसे बहुत बड़ी उम्मीद है।
मुझे उम्मीद है कि आप पीछे नहीं हटेंगे, कि आप अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे और इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता आपके साथ खड़ा रहेगा। इस लड़ाई में हम आपके साथ हैं। मेरे भाई राहुल गांधी जी आपके साथ हैं, जिन्होंने संसंद में किसानों की बात की। जिन्होंने संसद में कहा कि दो मिनट का मौन व्रत आप उन किसानों के लिए रखिए, जो शहीद हुए हैं। इस पर जितने भी सरकार के नेता हैं, सब अपनी जगह बैठे रहे, मजाक उड़ाते रहे, लेकिन विपक्ष का एक-एक सांसद खड़ा हुआ और दो मिनट का मौन उन्होंने रखा। राहुल गांधी जी आपके साथ है, कांग्रेस पार्टी का एक-एक नेता आपके साथ है, एक-एक कार्यकर्ता आपके साथ है और मैं आपको आज यहाँ से कहने आई हूँ कि मैं आपका साथ नहीं छोडूंगी। जब-जब आप संकट में होंगे मैं आपके साथ आऊँगी और मेरी जान, मेरा धर्म आप हैं।
बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं आप सबसे आग्रह करूंगी कि जो 215 किसान, किसान आंदोलन में शहीद हुए हैं, उनके लिए हम दो मिनट का मौन रखेंगे। दो मिनट का मौन रखिए (जनता से आग्रह करते हुए कहा)
जय जवान, जय किसान। जय हिंद,
धन्यवाद।
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