दिल्ली के जामिया इलाके में रामभगत गोपाल शर्मा नाम के जिस शख्स ने हिंदुस्तान जिंदाबाद और दिल्ली पुलिस जिंदाबाद कहते हुए फायरिंग की घटना को अंजाम दिया, उसने पहले से ही इसकी पूरी तैयारी की हुई थी। गौतमबुद्ध नगर के जेवर का रहने वाले रामभगत गोपाल ने फायरिंग से कुछ देर पहले ही अपने फेसबुक पेज पर लाइव वीडियो और कुछ पोस्ट शेयर करते हुए लिखा था कि शाहीन बाग का खेल खत्म। 2 घंटे के अंदर गोपाल ने कई पोस्ट किए, जिसमें उसने कासगंज हिंसा में मारे गए चंदन का बदला लेने की बात कही थी।
सबसे पहले पोस्ट में गोपाल ने अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए लिखा कि दो मिनट में*&&^%&^% रहा हूं।
इसके बाद गोपाल अगला पोस्ट करता है, जिसमें वह लिखता है आजादी दे रहा हूं। इस पोस्ट को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस शख्स के मन में प्रदर्शनकारियों के लिए किस कदर नफरत भरी हुई है।
इसके बाद गोपाल का अगला पोस्ट आता है, जिसमें वह लिखता है कि मेरे घर का ख्याल रखना। इसका मतलब वह पहले से ही सोच कर आया था कि या तो मारूंगा या तो मर जाऊंगा।
गोपाल अपनी अगली पोस्ट में लिखता है. “मैं यहां अकेला हिंदू हूं”...... इसका मतलब फायरिंग करने वाला शख्स मन में किसी समुदाय विशेष के लोगों को नुक्सान पहुंचाने का इरादा लेकर आया था।
गोपाल के अगले पोस्ट में उसने लिखा कि मेरी अंतिम यात्रा के समय मुझे भगवा रंग के कपड़े में लपेट कर ले जाया जाए और मेरी शव यात्रा में जय श्री राम के नारे लगाए जाएं।
आखिरी पोस्ट में उसने लिखा, “शाहीन बाग का खेल खत्म।”
इस पोस्ट से साफ जाहिर है कि वह शाहीन बाग में CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के इरादे से ही वहां आया था।
इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है दिल्ली पुलिस की कानून व्यवस्था पर। तस्वीरों में साफतौर से दिख रहा है कि जिस समय गोपाल गोली चला रहा है उस समय दिल्ली पुलिस के जवान मूकदर्शक बनकर उसे देख रहे थे।
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